विद्रोही ने कहा कि भाजपा खटटर सरकार कोरोना आर्थिक संकट के नाम पर पैसों की कमी का रोना रोती रहती है, लेकिन सरकार अपने खर्चो में एक पैसे की भी कटौती नही करती। जब पूरा प्रदेश कोरोना आर्थिक संकट के कारण बदहाल है तब मुख्यमंत्री खट्टर खुद पर व अपने मंत्रीयों, विधायकों, सरकारी अमले, अफसरों की सुख-सुविधाओं के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे थे। कोरोना संकट कारण प्रदेश में अपने राजनीतिक कार्यक्रम करने भाजपा खट्टर सरकार ने करोड़ो रूपये बहाये। किसान आंदोलन के चलते किसानों के भारी विरोध के कारण मुख्यमंत्री व उनके मंत्री कार्यक्रम नही कर पा रहे, फिर भी अपने जबरदस्ती कार्यक्रम करने के लिए पुलिस सुरक्षा के नाम पर प्रदेश के करोड़ों रूपये बर्बाद किये जा रहे है। विद्रोही ने सवाल किया कि कोरोना आर्थिक संकट के नाम पर सरकारी, अर्धसरकारी कर्मचारियों व पैंशनर्स की ही जेब क्यों काटी जा रही है? मुख्यमंत्री खट्टर अपने व मंत्रीयों पर व्यर्थ के खर्च हो रहे करोड़ों रूपये में कटौतीे क्यों नही करते? क्या कोरोना आर्थिक संकट के नाम पर आर्थिक चोट आमजन पर ही मारी जायेगी? विद्रोही ने मांग की कि सरकार अपना फैसला वापिस लेकर प्रदेश के साढ़े पांच लाख सरकारी व अर्धसरकारी कर्मचारियों व पैशनर्स के महंगाई भत्ते का 3500 करोड़ रूपये हडपने की बजाय यह राशी तुरंत दे।
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