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योग करेगा निरोग, इन आसनों से होंगी शरीरिक समस्याएं दूर

 


 योग- स्वस्थ जीवन का स्वस्थ तरीका

फरीदाबाद, अंजली शर्मा  : आज के समय में व्यस्त जीवन के कारण अपने शरीर को तंदुरुस्त रखना, सब के लिए एक बड़ी चुनौती है। बढ़ते समय के साथ अपने कामों में व्यस्त रहने के कारण लोगों को तनाव होना एक आम बात सी हो गई है। इसी तनाव के चलते लोगों को कई बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि व्यक्ति के द्वारा अपने जीवन को स्वस्थ रखने तथा बीमारियों से बचने के लिए विभिन्न तरीकों, जैसे- व्यायाम (योग) पौष्टिक खाना स्वस्थ दिनचर्या दी को अपनाया जाए।

इन तरीकों में अपने जीवन शैली को स्वस्थ बनाने को जो सबसे अच्छा तरीका है वह योग है। योग शब्द का अर्थ है मेल या मिलाप। यह एक ऐसी क्रिया है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को साथ में लाया जाता है। यह एक ऐसा नाम है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं होगा।

योग का महत्व

भारत में योग का बहुत महत्व है। पिछले कई वर्षों के हिसाब से देखा जाए तो भारत में योग का महत्व और भी बढ़ता जा रहा है। हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रुप में मनाया जाता है। योग दिवस लोगों के जीवन तथा शरीर को योग से होने वाले सकारात्मक बदलाव और फायदे के बारे में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन योग दिवस के लिए अलग-अलग थीम भी रखे जाते हैं। भारत में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत सबसे पहले 21 जून 2015 को की गई और इस साल 2022 में योग दिवस का 8वां संस्करण मनाया गया। कोरोना महामारी के बाद लोगों में कहीं ना कहीं योग को लेकर और जागरूकता आई । महामारी के समय घर पर रहने, ज्यादा टाइम फोन एवं डिजिटल उपकरणों पर बिताने के कारण तनाव और अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों में काफी इजाफा पाया गया जिस से बचने के लिए लोगों ने अपने घरों पर योग करना शुरू किया। परंतु आज यदि देखा जाए तो कहीं ना कहीं महामारी के बाद सब काम वापस से खुलने के साथ लोग अपने कामों में व्यस्त रहने के कारण कहीं ना कहीं योग करने के लिए समय नहीं निकाल पाते। 

योग की फील्‍ड में काफी समय से रहने वाली “ पंचतत्व एडवांस योगा सेंटर” की योग इंस्ट्रक्टर डॉ. तब्बू बताती हैं कि जब भी कोई नया ट्रेंड चलता है तो लोग अचानक से उसको अपनाते हैं तथा उसपर फोकस करते हैं। लेकिन जैसे जैसे-जैसे लोग अपने डेली रूटीन लाइफ में आने लगते हैं वैसे ही धीरे-धीरे उस चीज को भूलने लगते हैं। ऐसे ही जब कोरोना महामारी आई तो लोगों का योग की तरफ झुकाव ज्यादा हुआ लेकिन जैसे-जैसे कोविड-19 खत्म होने लगा लोग वापस से उसी रूटीन में आ गए हैं। लेकिन जो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहते हैं या जिन लोगों को अपने लाइफ-स्टाइल मेंटेन करनी होती है वह आज भी योगा करते हैं।

 वह योग का महत्व बताती हैं- योगा हमारी श्वास पर आधारित होता है। योग में श्वास को अंदर और बाहर लेने पर फोकस किया जाता है। जब श्वास अंदर ली जाती है तब हम ऑक्सीजन को हमारे शरीर में लाते हैं तथा श्वास छोड़ते वक्त कार्बन डाइऑक्साइड को अपने शरीर से बाहर की तरफ छोड़ते हैं। जब यह ऑक्सीजन हमारे शरीर में जाती है तब हमारे शरीर में नए रक्त सेल बनते हैं तथा हमारी इम्यूनिटी भी बढ़ती है।


योग का सबसे ज्यादा महत्व शरीर और मन को शांति तथा शक्ति प्रदान करना है और यह विभिन्न योगासनों के कारण संभव है। योगासन कई प्रकार के होते हैं और प्रत्येक आसन से होने वाले फायदे भी अलग-अलग होते हैं, परंतु सभी योगासनों का विशेष कार्य एक स्वस्थ जीवन शैली प्रदान करना है। योग के विभिन्न प्रकारों में निम्न शामिल है:


सूर्य नमस्कार- सूर्य नमस्कार एक ऐसा आसन है जो 12 चरणों में किया जाता है। यह एक बहुत ही जरूरी आसन होता है। इस आसन को करने का लाभ यह होता है कि इस आसन को सुबह सूर्य के सामने करने से शरीर को विटामिन डी अच्छी मात्रा में प्राप्त होती है।

सूर्य नमस्कार करने के 12 चरण-

प्रणासन- प्रणासन में सूर्य को देखते हुए सीधा खड़ा होना होता है, फिर दोनों हाथों को जोड़कर सूर्य को नमस्कार करना होता है।

हस्तउत्तानासन - प्रणासन में खड़े रहने के बाद अपने हाथों को ऊपर की ओर उठाना होता है तथा पीछे की ओर शरीर को थोड़ा झुका ना होता है।

पादहस्तासन- हस्तउत्तानासन करने के बाद धीरे-धीरे अपने हाथों को आगे की ओर लाना होता है, और शरीर को भी आगे झुकाने की कोशिश करनी होती है इस आसन में कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के साइड में रखें और घुटने एकदम सीधे होने चाहिए।

अश्व संचालनासन- इस आसन में अपने बाएं पैर को पीछे ले जाना तथा दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती से सटाना होता है। हाथों को पंजों के साथ जमीन पर रखकर अपनी गर्दन को पीछे की ओर ले जाना होता है।

दंडासन-  दंडासन करने के लिए अश्व संचालन आसन करने के बाद अपने दाएं पैर को भी पीछे की ओर ले जाना होता है।

अष्टांग नमस्कार- दंडासन को करने के बाद अष्टांग नमस्कार की बारी आती है। इस आसन में अपने दोनों घुटने को जमीन पर लगाना होता है और साथ ही अपनी छाती, हाथ, पैर और थोड़ी को जमीन पर चुना होता है, परंतु कूल्हे को जमीन से ऊपर ही रखना होता हैं।

भुजंगासन- अष्टांग नमस्कार करने के बाद भुजंगासन में व्यक्ति को पेट के बल लेटना होता है, और इसके बाद अपने हाथों का सहारा लेकर अपनी गर्दन तथा अपने शरीर को आगे की तरफ से ऊपर उठाना होता है। हाथों का सहारा लेकर सबसे पहले मस्तक पर छाती और फिर पेट को उठाया जाता है।

अधोमुख शवासन- इस आसन को सीधा भुजंगासन के बाद करना होता है। इस आसन में पैरों की ऐड़ी को जमीन से लगा कर रखना होता है तथा अपने कूल्हे के हिस्से को जमीन से ऊपर रखना होता है।

अधोमुख शवासन के बाद एक बार फिर से अश्व संचालन आसन करना होता है परंतु इस बार अपने बाएं पैर की जगह दाएं पैर को आगे रखना होता है।

अश्व संचालन आसन के बाद व दोबारा से पादहस्तासन की मुद्रा में आना होता है और इसके बाद हस्त उत्तानासन करना होता  है। इन दोनों आसनों को करने के बाद वापस से प्राणायाम की मुद्रा में आना होता है, इस प्रकार से सूर्य नमस्कार करने के 12 चरण पूरे होते हैं।

अर्धमत्स्येंद्रासन- ‘अर्धमत्स्येंद्र' का अर्थ होता है शरीर को आधा मोड़ना या घुमाना। यह आसन रीड की हड्डी के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। इस आसन को करते समय हमेशा रीड की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखा जाता है तथा अपने आधे शरीर को घुमाकर दूसरी साइड को पकड़ने की कोशिश की जाती है,और लंबी गहरी सांस लेनी होती है।

अर्धमत्स्येंद्रासन के लाभ:

  • अर्धमत्स्येंद्रासन सबसे ज्यादा रीड की हड्डी के लिए लाभदायक माना जाता है इस आसन से रीड की हड्डी का लचीलापन बढ़ता है

  • यदि किसी को कमर दर्द की समस्या होती है तो इस आसन के द्वारा यह समस्या भी दूर की जा सकती है

  • यह आसन छाती को खोलने में सहायक है तथा फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति भी बढ़ती है

  • कंधों तथा ऊपरी पीठ और गर्दन में तनाव को कम करता है।          

Photo by: Kerala tourism

2. भद्रासन- ‘भद्र’ का मतलब होता है ‘अनुकूल’ या ‘सुंदर' । भद्रासन ध्यान करने के लिए बहुत ही उचित आसन है। इस आसन को करने की प्रक्रिया काफी आसान होती है। इस आसन को करने के लिए वज्रासन में बैठना होता है तथा यह भी ध्यान रखना होता है कि पैरों की उंगलियों का संपर्क जमीन से बना रहे। बैठने के बाद अपने हाथ जमीन पर रखकर और फिर ध्यान लगाना होता है।

भद्रासन के लाभ:

  • सबसे ज्यादा एकाग्र शक्ति एवं ध्यान केंद्रित करने में यह आसन लाभदायक है।

  • इस आसन के द्वारा पेट की पाचन शक्ति को भी ठीक किया जा सकता है।

  • यह आसन शरीर की मांसपेशियों को मजबूत एवं स्वस्थ बनाता है।

  • क्योंकि इस आसन में रीड की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखा जाता है, तो यह आसन रीढ़ की हड्डी के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

                                                                          
Photo by: Shilpa Ahuja

3. भुजंगासन- भुजंगासन कमर गर्दन और पीठ के लिए अति लाभकारी आसन माना जाता है। अंग्रेजी में भुजंगासन को ‘Cobra Pose’ कहते हैं। इस आसन को करते समय क्योंकि एक व्यक्ति पर उठाए हुए सांप की तरह प्रतीत होता है इसलिए इसका नाम भुजंगासन है।

                                                                
Photo by: MensXP
 इस आसन को करने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को जमीन पर सीधा पेट के बल लेट ना होता है। इस दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि पैर एकदम सीधे रखें और दोनों हाथ दोनों कंधों के बराबर नीचे रखें। फिर धीरे-धीरे अपने हाथों को आगे की ओर लाया जाता है, तथा अपने शरीर को ऊपर उठाया जाता है। हाथों का सहारा लेकर सबसे पहले मस्तक पर छाती और फिर पेट को उठाया जाता है।

भुजंगासन के लाभ:

  • रीड की हड्डी को मजबूत बनाने में लाभदायक है।

  • गर्दन के तनाव तथा कमर दर्द को दूर करता है।

  • इस आसन से वजन कम करने में मदद मिलती है।

  • फेफड़ों, कंधों, सीने और पेट के निचले हिस्से को अच्छा खिंचाव मिलता है।


4. गोमुखासन- 'गोमुख’ का अर्थ होता है गाय का मुख। इस आसन में शरीर को गोमुख के समान बना लिया जाता है, इसी कारण से इसे गोमुख आसन कहा जाता है। इस आसन को अंग्रेजी में ‘Cow Face Pose' के नाम से जाना जाता है।

गोमुखासन के लाभ:

  • तनाव दूर करने के लिए यह आसन करना चाहिए।

  • इस आसन को करने से कई प्रकार की बीमारियों से राहत मिल सकती है जैसे कि- मधुमेह, गठिया, हर्निया इत्यादि।

  • इस आसन से हाथों तथा पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती है।


       
Photo by: Yoga Lily

गोमुखासन करते समय बरतने वाली कुछ सावधानियां- 

  • यदि हाथों में ज्यादा खिंचाव लगे या कमल में ज्यादा दर्द महसूस हो रही है आसन नहीं करना चाहिए।

  • गोमुखासन करते समय यदि हाथ को पीछे ले जाने में कठिनाई हो तो यह आसन करने से बचना चाहिए। साथ ही हाथ को पीछे की तरफ ले जा कर दूसरे हाथ को जबरदस्ती पकड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।


5. हलासन- हलासन करते समय मनुष्य का शरीर कृषि उपकरण हल के सामान प्रतीत होता है इसीलिए इस आसन को हलासन कहते हैं। अंग्रेजी में हलासन को ‘Plow Pose’ कहा जाता है। हलासन एक ऐसा आसन है जिसे हमेशा सुबह के समय खाली पेट किया जाता है।

Photo by: India today

हलासन के लाभ:

  • यह आसन मधुमेह जैसी बीमारी के लिए अति लाभदायक है क्योंकि यह शुगर लेवल को कंट्रोल करता है।

  • पेट की पाचन शक्ति अच्छी होती है।

  • कमर दर्द तथा थकान से राहत मिलती है।

हलासन करते समय बरतने वाली कुछ सावधानियां:

  • आसन करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि खाना खाने से 4-5 घंटे बाद या पहले ही आसन किया जाना चाहिए।

  • अस्थमा और हाई बीपी के मरीजों को यह आसन करने से बचना चाहिए।

  • ध्यान रखें कि गर्दन पर ज्यादा खिंचाव ना आए।

6. धनुरासन- धनुरासन करते समय शरीर की आकृति धनुष के समान दिखाई पड़ती है। अंग्रेजी में इसे ‘Bow Pose' भी कहा जाता है। यह मुख्यतः  पीठ को खिंचाव देने के लिए किया जाता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी और कमर के लिए अत्यंत लाभदायक माना जाता है।

                                                             
Photo by: India today

धनुरासन के लाभ:

  • इस आसन से रीड की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है।

  • कमर दर्द के लिए फायदेमंद है।

धनुरासन करते समय बरतने वाली कुछ सावधानियां:

  • गर्दन अथवा कमर के दर्द अधिक होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।

  • गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।

  • आसन करते समय एक साथ अपने शरीर को खिंचाव नहीं देना चाहिए, यह आसन धीरे-धीरे करना चाहिए।

इन आसनों के साथ-साथ और भी कई प्रकार के ऐसे आसन है जो जीवन शैली को स्वस्थ बनाते हैं, और हमारे शरीर और मन को अलग-अलग लाभ पहुंचाते हैं इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यस्त जीवन में कुछ समय व्यायाम के लिए भी निकालना चाहिए ताकि वह एक स्वस्थ जीवन की अनुभूति कर सकें।



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